तू ईश्क है
तू ईश्क है हमराह भी
तू चैन दिलका चाह भी
कैसे कहूं तुम कौन हो
क्या पता क्यों मौन हो।
अरमान तुम अभिमान तुम
बख्शीस-ओ- वरदान तुम
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है
तभी तो दिल बेताब है।।
हां दिल मेरा बेताब है।।
कैसे कहूं क्या बात है
क्या दिल मेरा जज़्बात है।।
तू है हंसी दिल में बसी
अदाएं तेरे लगे दिलकशी।
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
चेहरे पे जो मुस्कान है
तुझमें ही मेरी जान है।
तू आरज़ू तू मिन्नतें
तुझमें बसी मेरी जन्नतें
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
तुम प्यास हो मेरे रूह का
विश्वास हो मेरे रूह का
है खुदा तुझमें बसा
तू जिस्म का ताकत मेरा
तुम हो हिमाकत मेरा।।
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
ये फासले भाती नहीं
पर कैसे कहूं मजबुर हूं
सच कहूं तो जान सुन
मैं जान तुझसे दूर हूं।।
तू ख़्वाब में आती हो जब
हां सीने से लगाती हो जब।
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
ये दिल जहां को भूलकर
तय नियति को फिजुलकर
तेरे आगोश में ही तो सोता है
कमबख्त फिर क्यों रोता है।
तू है हकीकत या ख़्वाब है
तुझे छूने को दिल बेताब है
हां दिल मेरा बेताब है।।
तू ही बताओ क्या करें
जब तुझमें दिखा हो चांदनी।
मैं गीत तो लिखता हूं लेकिन
तू ही है सुर और रागनी।।
चांद तो कह दूं मगर
है डर गर मांगे तुझे जहां।
तू राह है मंजिल भी है
तुही धारा और आसमां।
तू ही तो सब कुछ मेरा
मैं हूं यहां केवल तेरा
मैं हूं यहां केवल तेरा।।
तो इजहार में देरी क्यों हो भला
अरे जब ईश्क रूहानी को चला।
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
लो आज दिल ने जो कहा
इजहार करता हूं मैं।।
मैं शायर हूं पागल भी लेकिन
तुमसे प्यार करता हूं मैं।।
दिल जान जानेमन तुझे
कहने को दिल बेताब है।।
तुझमें सिमटा मेरा ख़्वाब है।
हां दिल मेरा बेताब है।।
✍️✍️दीपक झा रुद्रा??