*तू आया कहाँ*
आज का दिन भी गया तू आया कहाँ ।
नज्म का एक सुना भी है सुनाया कहाँ।।
कल कहा था कि झोली भर दूंगा तेरी
मग़र मोहब्बत ए दिलासा पाया कहाँ।।
तेरे झुमले सुनता चला आ रहा हूँ दूर से
तू अपना है यार तो वो फिर पराया कहाँ।।
दिखा रहा था हाथ में पकड़ के गुलगुले
है वो वरतन किधर ? तूने बताया कहाँ ।।
इबादत की दरगाह में भीख मांगता रहा
झोली तो अब भी खाली भर पाया कहाँ।।
चलना बड़े आराम से लारी भेज रहा हूँ
में इन्तजार में हूँ पर अभी तू लाया कहाँ।।
कह रहा है “साहब”क़ि अब् पेट भर गया
चिपका पेट पीठ में भाई बता खाया कहाँ।।
——————-एक भिखारी—————–