*”तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं”*
“तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं”
कौन सुनेगा किसको सुनाये ,
जाने किसको क्या समझाये ,
राज ये गहरा दिल में छुपाये ,
बरसों सीने में आग सुलगाये ,
ख़ामोशी का पहरा लगाये बैठे हैं।
तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं
सागर की लहरों में गोते लगाये ,
उथल पुथल मन हिलोरें खाये ,
कभी उफनती छलकती जाये ,
तूफान का सैलाब उमड़ जाये ,
तूफां में पतवार सम्हाले बैठे हैं।
तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं
कुदरत का ये कहर बरपाये ,
गिले शिकवे का दौर ये आये,
हालातों पे खुद काबू पा जाये ,
आशा आत्म विश्वास जगाये ,
उम्मीद का दीप जलाये बैठे हैं।
तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं
चलो रूठे तकदीर को मनाये ,
तूफान खड़ा हुआ सामने आये ,
प्रभु के सामने राज खोल जाये ,
नयन आंसू से भिंगोते ठहराये ,
खुद को भुलाये सिमटे हुए बैठे हैं।
तूफां दिल में छुपाये बैठे हैं
शशिकला व्यास✍️
स्वरचित मौलिक रचना