तूफ़ान और मांझी
तूफानी स्याह रात में फँसी मेरी नैय्या माँझी ले चल उस पार,
बीच भंवर में डूब रही मेरी नैय्या पिया मिलन की लगी आस I
जमाना कहता रहे तुझे दिल के आँगन की ओर मोडेंगे ,
मँझधार में फँसी नैय्या को मोहब्बत की राह से जोड़ेंगे,
तूफानी रात डरा ले पर साजन तेरे क़दमों को न छोड़ेंगें ,
मेरे साजन , तेरे खूबसूरत राह में चलकर ही दम तोड़ेंगे I
तूफानी स्याह रात में फँसी मेरी नैय्या माँझी ले चल उस पार,
बीच भंवर में डूब रही मेरी नैय्या पिया मिलन की लगी आस I
तेरी तस्वीर पर कुर्बान है मेरी अँखियाँ सब कुछ भूल गई ,
खूबसूरत तेरे नैनो को देखकर तेरी जोगन देखती रह गई ,
ओ मेरे मांझी बचा ले मेरी नैय्या को मंझधार में फँस गई ,
पिया से मिला दे बेवफा जिन्दगी को तुझसे आस लग गई I
तूफानी स्याह रात में फँसी मेरी नैय्या माँझी ले चल उस पार,
बीच भंवर में डूब रही मेरी नैय्या पिया मिलन की लगी आस I
सुहानी यादों को मन -मन्दिर में बसाकर तेरी पूजा करेंगे ,
तेरे जलवो को दिल में सजाकर इस समंदर को पार करेंगे ,
डराए अँधियारा जितना काँटों के आगे “ राज “ न झुकेंगे ,
नैय्या को इंसानियत के फूलों से सजाकर भवसागर करेंगे I
तूफानी स्याह रात में फँसी मेरी नैय्या माँझी ले चल उस पार,
बीच भंवर में डूब रही मेरी नैय्या पिया मिलन की लगी आस I
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देशराज “राज”
कानपुर