तूने देख ली मुझे इस नजर
तूने देख ली मुझे इस नजर
भूल गया मैं अपना भी घर
कातिल निगाहें न जाने क्या
हो मुहब्बत से अब कैसा डर
ख़ामोश लबों से उसने कहा
आओ चले इश्क की डगर
दिल तेरी ओर खींचा जा रहा
मीठी बातों से ढ़ाओ न कहर
राही भी अब रहता गुमनाम
देख ली जब से रश्क़े क़मर
? रवि कुमार सैनी ‘राही’