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12 Jun 2023 · 1 min read

तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक

अबतक

तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
दिन के उजालों के पांव तले रात दबी है अबतक

अछूतों से मतलब की वो बात तो हंसकर करते हैं
कुंठित जहन मे उनके पर जात दबी है अबतक

सुना है हज से लौट आया है हाजी बनकर लेकिन
उसके हाथों मे गरीबों की खैरात दबी है अबतक

इनमे दफन है अभी भी इज्जतो वकार किसी का
इन खण्डहरों मे किसी की मात दबी है अबतक

महीना सावन का आया है वक़्त पर अपने लेकिन
मौसम की बेईमानी से बरसात दबी है अबतक
मारूफ आलम

Language: Hindi
82 Views
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