तूने कीमत न पहचानी।
तूने कीमत न पहचानी, कीमत न पहचानी। छोटे जीवों की पीड़ा न जानी।
अपने को ही समझता रहा ज्ञानी। तूने कीमत न पहचानी। आत्मा से परमात्मा था यह तूने कब जानी। कीमत न पहचानी। भटकता रहा चहू दिशी, बढ़ाता फिरें अपनी झूठी शानी । तूने कीमत न पहचानी, तूने आज तक कीमत न पहचानी।यह जीवन बड़ा अनमोल था । जिसका न कोई तोल था। फिरता रहा चहू धानी
तूने कीमत न पहचानी।। बाबा कीमत न पहचानी।
समय से नहीं जागा,अपनी जिम्मेदारी से भागा।निकल गया समय तो फिर घूमे घानी मानी । तुने कीमत न पहचानी।।।।