तूँ ही गजल तूँ ही नज़्म तूँ ही तराना है मेरा
तूँ ही गजल तूँ ही नज़्म और तूँ ही तराना है मेरा
तूँ ही हकीकत, ख्वाब और तूँ ही फसाना है मेरा
तूँ ही गजल…………….
क्या करोगी ताजमहल बनवाके तुम एक दूसरा
जब मेरे दिल में ख्वाब सा हसीं ठिकाना है तेरा
तूँ ही गजल………………
तुमसे ना मुझको चाहिए कोई भी तोहफा सनम
मेरी जिंदगी में आना ही नायाब नजराना है तेरा
तूँ ही गजल……………….
चंदा और तारों पाने की ख्वाहिश नहीं अब मुझे
मुझे और कुछ नही चाहिए तूँ ही जमाना है मेरा
तूँ ही गजल………………..
जाना नहीं इस जिंदगी से अब दूर तुम छोड़कर
तुमसे ही मेरी महफिलें और तूँ मयखाना है मेरा
तूँ ही गजल………………….
नजाकत भरी तेरी अदाएं मदहोश करती हैं मुझे
“विनोद”कहे अंदाज़ बहुत ही कातिलाना है तेरा
तूँ ही गजल.………………….