तुलसी
तुलसी के सौरभ से ही,
हमारा प्रांगण महकता है,
इसके रहने मात्र से ही,
प्रांगण दीप्त हो उठता है।
तुलसी का सेवन करने से
होती वेदना दूरस्थ हमारी
पुरातन के अवधि में यह
जड़ी – बूटी के तुल्य थी।
हिंदू धर्म का पवित्र पौधा,
माना जाता इस तुलसी को,
चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी,
उल्लेखित तुलसी का पौधा है।
तुलसी के आस – पास वातवरण,
निर्मल वायु , शीतल प्रतिकृति होता ,
अंग्रेजी, होम्योपैथिक औषधि में भी ,
होता हस्तगत यह तुलसी का पौधा।
सुख – चैन का परिवेश गढ़ने को ,
मनुज तुलसी की अर्चना करते हैं ,
तुलसी की प्रशंसा करने को ,
मनुजों के समीप शब्द नहीं है ,
तभी तो वह अपनी तनया को ,
मानते तुलसी का स्वरूप हैं।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या