तुलसी
तुलसी
घरों की देवी तुलसी है,महके चहुं ओर।
पूजा इनकी होती है,घर घर सबकी डोर।।
औषधि में काम बड़ा, प्रसिद्ध है जहान।
बीमारियों की दवा,तुलसी जिसका नाम।।
हिन्दू धर्म की देवी,विष्णु प्रिय तुम होत।
आंगन में तुम विराजे,जगमग बरे जोत।।
हनुमंत मांग मैय्या से,भोजन सब खात।
तुलसी रूप प्रसाद,भगवान खात अघात।।
मां तुलसी को जो मनुस, नृत्य करे प्रणाम।
विपत्ति से दूर होय, जीवन उसका आराम ।।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822