तुम
? तुम ?
मुझे जरूरत है ,,,,
,तुम्हारी
तुम्हारी मोहब्बत की
दिल टूट कर बिखर जायेगा ,
अंधेरे में मेरा
छूटा जो साथ तुम्हारा
पानी की लहरों की तरह चंचल
तितली के पंखों की तरह खूबसूरत
“तुम ”
समा जाओ ना
मेरी जिंदगी में
बल्कि मेरे अंतर्मन में
वैसे ही
जैसे
धूप में छाया
कृष्ण ने राधा के प्रेम की तरह
पर
प्रेम तो एक प्रेम है
फिर चाहे धूप का छाया से हो
या
कृष्ण का राधा से
प्रेम रहता है वहीं
जहां होता है दोनों को
एक दूसरे पर
“पूर्ण-विश्वास ”
यह विश्वास बना रहे
मेरा तुम्हारा
हमेशा – सदा
बस खुदा से यही दुआ है ….
बस खुदा से यही दुआ….
✍ चौधरी कृष्णकांत लोधी (के के वर्मा बसुरिया) नरसिंहपुर मध्य प्रदेश