तुम..
कितना भी मसरूफ
क्यूँ न कर लें हम ख़ुद को
हवा के झोंके सी
यादें तुम्हारी
चली आती हैं तन्हाइयों में मेरी
सोंधी सी खुशबु
तेरे बदन की महका जाती है
दिल के नशेमन को मेरे
हिमांशु Kulshrestha
कितना भी मसरूफ
क्यूँ न कर लें हम ख़ुद को
हवा के झोंके सी
यादें तुम्हारी
चली आती हैं तन्हाइयों में मेरी
सोंधी सी खुशबु
तेरे बदन की महका जाती है
दिल के नशेमन को मेरे
हिमांशु Kulshrestha