तुम
तुम जीवन के ढाई आखर
तुम जीवन की गाथा हो
तुम बिन जीवन मरुभूमि
तुम जीवन का सावन हो
तुमसे मोर बना सतरंगी
तुमसे कोयल गाती है
तुमसे चकोर निहारे चंदा
तुमसे नदिया लहराती है
मैं क्षितिज मिलन की आशा करता
संग तुम्हारे गाता हूं
जगत करे सब अपना-अपना
तुम मेरे मनभावन हो
तुम जीवन के ढाई आखर
तुम जीवन की गाथा हो
तुम बिन जीवन मरुभूमि
तुम जीवन का सावन हो।।