// तुम //
यहां था कोहरा घना, मैं था अंधेरों से सना…
तुम्हारी जो धूप पड़ी मुझ पर, मै भी उजाले सा बना।।
तुम्हारी किरणों की फुहारों में मन, रोशनी सा भीग गया,
तुमने दस्तक दी, मैं करना प्यार ख़ुद से सीख गया..।।
बेहाल थे हाल मेरे, हालत सुधरने लगी,
लम्हे महकते अब सारे, तेरी खुशबू महकने लगी।।
तुम्हारा किया ख़्याल तो, रखने लगा में ख़्याल खुद का..,
तुमने पूछा कैसे हो, तब जाना मैने ख़ुद का हाल.।।
मेरी आदतो को दिया है, तुमने एक नया आकार…,
तुम्हारी वज़ह से करने लगा हूं, मैं ख़ुद से अब बहुत ज्यादा प्यार…।।।।