तुम
तुम (स्वर्णमुखी छंद/सानेट)
तुम प्रिय मोहक मृदुल अनोखा।
सखा सखी मधु मित्र प्रीति नव।
मनभावन शिव इत्र गीति भव।
नहीं किसी को देते धोखा।
प्रियवर प्रियतम अनुपम अविरल।
सिंहासन पर सहज सुशोभित।
प्रेम ध्यान मग्न जग मोहित।
वर्ण मनोहर अविचल निर्मल।
स्नेह रसायन के शुभ ज्ञानी।
कमल नयन उत्तम मानस हो।
सरस सत्य सुन्दर मधु रस हो।
प्रीति साधनारत विज्ञानी।
वाहन वाहक हंसकला हो।
शुभ गति सद्गति दिव्य थला हो।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।