तुम हो
तुम हो…
पावन मन का चिंतन तुम
पवित्र विचारो का मंथन तुम
सब गुणों की रत्नाकर तुम
तुम मृगनैनी, कमलाकर तुम
ह्रदय में बसती नागर तुम
मेरा जीवन तुम, सुख सागर तुम
मेरी जीत भी तुम
मेरी हार भी तुम
हर ख़ुशी भी तुम, त्यौहार भी तुम
तुम हर पल मेरा
हर वार भी तुम
मेरा घर, आँगन संसार भी तुम
मेरी सखी भी तुम
मेरा प्यार भी तुम
मेरे मन का आधार हो तुम
मेरा दिन हो तुम
मेरी रात भी तुम
पतझड़, गर्मी, बरसात भी तुम
मेरी शह हो तुम
मेरी मात भी तुम
दवा भी तुम, आघात भी तुम
मेरा धर्म भी तुम
ईमान भी तुम
मेरी प्रार्थना तुम, अजान भी तुम
मेरे ध्यान में तुम
हर ज्ञान में तुम
हर क्षण मेरे संज्ञान में तुम
हर दिशा में तुम
हर दशा में तुम
सुध बुध मेरी, मेरा नशा भी तुम
हर जगह हो तुम
हर घड़ी हो तुम
सब जोड़ तुम्ही, हर कड़ी हो तुम
हर शब्द हो तुम
अलफ़ाज़ भी तुम
अंजाम मेरा, आगाज़ भी तुम
आचार में तुम
व्यवहार में तुम
हर सोच तुम्ही, विचार में तुम
मेरा मान भी तुम
सम्मान भी तुम
आन, बान और शान भी तुम
मेरे जीवन के हर हिस्सों में तुम
मेरी यादों में, किस्सों में तुम
जो सपना हो साकार वो तुम
मेरी खुशियों की झंकार हो तुम
पता नहीं, मैं तुम में हूँ या मुझमे तुम
क्या मैं तुमसे हूँ या मुझसे तुम
…..बस तुम हो