तुम हो–2
मेरे गजल की आगाज तुम हो
चांद की चांदनी सी तुम हो
हवा की रागिनी सी तुम हो
फिजा की नगमगी सी तुम हो
सितारों की रौशनी सी तुम हो
सुरज की पहली किरणों सी तुम हो
बारिश की पहली बुंदों सी तुम हो
ईद की रौनक सी तुम हो
दिवाली की फुलझड़ी सी तुम हो
किसी शायर की गजल की किताब सी तुम हो
संगीत की मधुर राग सी तुम हो
मौसम में बहारों सी तुम हो
अंधेरी रात में जुगनू सी चमकती तुम हो
फुलों में गुलाब सी तुम हो
महफ़िल में शबाब सी तुम हो
चमकती हुई महताब सी तुम हो!
~अलताफ हुसैन