तुम हो ही नहीं कहीं
जब कुछ नहीं था
तो तुम थे
जब टूट चुकी थी आशाएं
बिखर चुके थे सपने
सूख गए थे अश्रु
और भीग गया था मन
तो तुम थे
जब एक एक कर
सब छोड़ जा रहे थे
जब दिखा रहे थे सब आंखें
और मार रहे थे ताने
जब कह रहा था कोई पागल
या उड़ा रहा था उपहास
जब हर तरफ था अंधकार
उन संघर्षों में हौसला बढ़ाने को
अकेले सिर्फ तुम थे
आज जब सब ठीक हो गया
खत्म हो गई सारी विपदा
जब आ गई खुशियां
तो उन खुशियों में शामिल होने को
तुम हो ही नहीं कही
अभिषेक राजहंस