तुम हो मानव
तुम हो मानव
तुम हो मानव , पुण्य धरा पर
तुमसे पुण्य , कोई कृति नहीं है
जीवन अपना आदर्श बना लो
प्रेरित कर औरों को
आदर्श धरा पर , बिखरा दे
देश प्रेम का पाठ पढ़ा तू
करके अपना सर्वस्व समर्पण
तुम हो मानव , पुण्य धरा पर
पुष्पित कर तू , पुण्य धरा पर
भर खुशबू से , सबका जीवन
सुविचार का पाठ पढ़ा तू
नैतिकता का संगीत बजा तू
महक उठे संस्कार धरा पर
ऐसे पथ पर बढ़ता जा तू
तुम हो मानव , पुण्य धरा पर
मानव है तू
मानवता का पाठ पढ़ा तू
खिला धरा पर पावन जीवन
अधखिले पुष्प को पुण्य बना तू
तुम हो मानव , पुण्य धरा पर
आदर्शों की कृति बना तू
संस्कृति के देव बनो तुम
संस्कारों के रक्षक बन तुम
देश धर्म को रोशन कर तू
तुम हो मानव , पुण्य धरा पर