तुम हो तो
छवि देख तुम्हारी मन मोहित है
बोल सुरीले सुन उर हर्षित है
उर में प्रीत जगी नैन मिलन से
दिव्य एहसास अधीर छुवन से
मानस में ठहरी परम प्रीति हो,
तुम हो तो नित ह्रदय उमंगित है
नित आहट पाकर दौड़ा आऊं
गले लगाकर मधु प्रीत लुटाऊं
तुम अमिट प्रेम की तरुणाई हो,
तुम हो तो अंतर्मन सुरभित है
तुमसे है मधुर प्रणय की बेला
तुमसे है ऋतु-ऋतु में नव हेला
चंचल तितली सी मनहारी हो,
तुम हो तो मन कानन पुष्पित है
हो नई जीत की स्वर्णिम गुंजन
प्रकृति नियति है तुमसे ये बंधन
पूर्ण समर्पित शक्ति मंजरी हो,
तुम हो तो नव स्वप्न पल्लवित है
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल