“तुम हो तो सब कुछ है”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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चलो कहीं दूर जाएँ हम
यहाँ हमें जी नहीं लगता
घुटन होती है अब मुझको
कोई भी साथ ना देता !!
बहुत उम्मीदें थीं अपनी
मेरा कोई साथ दे देगा
कभी जो लड़खड़ाऊँ मैं
मुझे वो थाम ही लेगा !!
नज़र जब दूर तक जाती
कोई अपना नहीं मिलता
कभी कोई भूल के आके
कभी अपना नहीं कहता !!
चलो हमदोनों मिलकर के
अपनी दुनियाँ बसाएँगे
किसी से हमको क्या लेना
मिलन के गीत गाएँगे !!
जमाना साथ ना दे तो
मुझे शिकवा नहीं करना
तेरा तो प्यार काफी है
इसी के साथ ही जीना !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
12.03.2024