– तुम हो गर्वी गुजराती में हु राजस्थानी –
– तुम हो गर्वी गुजराती में हु राजस्थानी –
अहमदाबादिया ढोकला खाकर रहो सदा मस्त,
खूब पढ़ो खूब लिखो,
साहित्य में रहो सदा तुम स्वस्थ ,
लेखनी तुम्हारी साहित्य जगत में धमाल कर दे,
मिले तुम्हे उचित सम्मान,
सब जगह हो तुम्हारा ही तुम्हारा नाम,
सुना है पहले जो तुम फिटनेस के लिए जिम जाया करती थी,
आज बन हो फिटनेस कोच और सबको व्यायाम कराती हो,
वो तकनीकी युग में हमारा प्रवेश और तुम्हारा पहला संदेश,
आज भी याद है वो खट्टी मीठी बाते,
वो हसीन से पल और वो सुनहरी बाते तुम्हारी,
किसी के कारण हम दोनो में बन गई थी अनबन,
आज जब सुना और जानकारों से पाया की तुम बनी फिटनेस कोच,
बहुत अच्छा लगा हमारे मन को,
मन हुआ प्रफुल्लित हर्ष से भर गया मन हमारा,
वो सुंदर छवि तुम्हारी यकायक आ गई समक्ष ,
तुम हो गर्वी गुजराती में हु राजस्थानी,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान