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1 Jun 2024 · 1 min read

तुम ही सुबह बनारस प्रिए

तुम ही सुबह बनारस,
तुम ही अवध की शाम प्रिए।

तुम बिन कठिन था जीवन
तुम ने बनाया सरल प्रिए,
तुम न होती मेरे संग तो,
मैं भटकता इधर उधर प्रिए।

तुम ही सुबह बनारस
तुम ही अवध की शाम प्रिए।
मेरे पुष्प की बगिया में तुम
महकता पुष्प प्रिए,
मेरे धमनियों में तुम ही,
बहता रक्त प्रिए।

तुम ही सुबह बनारस
तुम ही अवध की शाम प्रिए।
मेरे पूजा घर की देवी तुम,
मैं मंदिर की बेदी प्रिए,
जब भी करता पूजा तेरी,
होती सकारात्मक अनुभूति प्रिए

Language: Hindi
1 Like · 115 Views

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