*”तुम ही मेरा गुमान हो स्वाभिमान हो”*
तुम ही मेरा गुमान हो तुम ही मेरा अभिभान हो
पिता कर्म पिता धर्म पिता स्वर्ग ,
पिता सर्वश्रेष्ठ पूज्य देव तुल्य महान हो।
मेरी प्रेरणा आदर्श उच्च विचारों की खान हो,
नई दिशा उमंग देते चेहरे की मुस्कान हो।
बाहर से कठोर व्यवहार अंदर से नर्म सच्चे दिल लिए हुए ,
निर्मल स्वच्छ जल समुद्र तट जैसा ,
शांत सुकून अविरल धारा बहती हुई नदी की पहचान हो।
तुम ही मेरा गुमान तुम ही मेरा अभिमान हो
उंगली पकड़ नन्हें कदमों को चलना सिखाया ,
कदम कदम पे सही दिशा दिखालाया।
कड़ी मेहनत तपती धूप में सुकून सुख दे जाते हो।
हर इच्छाओं को पूरी करते हुए ,
हमेशा हरदम अंतर्मन में हमेशा यादों में साथ हो।
वटवृक्ष की तरह अडिग अटल सत्य की राहों में चलते हुए ,
आदर्शवादी सच्चाई का साथ देते प्रखर बुद्धि की पहचान हो।
हर पल प्रतिदिन फ्रिक करते हुए ,
खुद की परवाह किये बिना ही नई पीढ़ी की शान हो।
तुम ही मेरा गुमान तुम ही मेरा अभिमान हो
हर रिश्तो को बखूबी निभाते हुए ,
ख्वाबों को हकीकत में पूरी करते ,
मन की बातों को भांप लेते हो।
पर्वत सा अडिग हिम्मत बांधते हुए ,
पूरे परिवार का मान सम्मान बढ़ाते आन बान शान हो।
तुम ही मेरा गुमान तुम ही मेरा अभिमान हो
शशिकला व्यास✍️