तुम ही बोलो भारत मां….
क्या लिख दू ये भारत मां….
अपनी अल्फाजों में
भूखे नंगे मिलेगे…
हर कोने गलियारों में
मंदिर मस्जिद में देखा है…
सोने की चादर चढ़ते
भूखे नंगे पड़े मिलेंगे….
हर चट्टी चौराहों पे
संसद में देखा है मैंने
आपस में मारा पिटी करते
कैसे लिख दू भारत मां…
सब अच्छे अच्छे है
वो तस्वीर दिखानी होगी…
जो छुपी हुई है उचि दीवारों में
कैसे चुप हो जाऊ मै
तुम ही बोलो भारत मां
लेखक – कुंवर नितीश सिंह(गाजीपुर)