तुम ही तुम
तुम रजनीगंधा नेह सुगंधा
तुम गुलमोहर तुम पलाश हो
तुम मयंक की धवल हास हो
तुम ही अधरों का लिबास हो
तुम ही तुम इन नयन समाई
लगता है कहीं आस -पास हो
अशोक सोनी
भिलाई ।
तुम रजनीगंधा नेह सुगंधा
तुम गुलमोहर तुम पलाश हो
तुम मयंक की धवल हास हो
तुम ही अधरों का लिबास हो
तुम ही तुम इन नयन समाई
लगता है कहीं आस -पास हो
अशोक सोनी
भिलाई ।