तुम ही कहती हो न,
तुम ही कहती हो न,
कि आजकल फैल रहा हूं मैं,,
तो लो अब समेट लो मुझे अपनी बाहों में!!
तुम कहती हो स्थिर नहीं रहते मेरी नज़रें एक जगह,
तो कैद कर लो तुम मुझे अपनी निगाहों में!!
आज कल उड़ रहा हूं मैं इधर से उधर,
तुम बांध लो मुझे अपनी दुपट्टा से!!