तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
संत औ महंत वह है,चित् जिसका हर दम पाक है।
अर्चन सु चोला, बुधि जगत् में, यही दुख का आँक है ।
निष्काम कर स्व कर्म को, सद् प्रेम बन “नायक बृजेश”।
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
चित्=आत्मा
पाक=पवित्र
आँक=भाग,हिस्सा