तुम से ना हो पायेगा
इंसान अपने बुरे वक्त में हमेशा दुखी होता है, लेकिन वो समय गुजर जाने पर उसे याद करके कभी-कभी हंस देता है…कुछ ऐसी ही मेरे जीवन की घटनाओं पर आधारित है ये कुछ पंक्तियां…
‘तुम से ना हो पायेगा’
बनना था कुछ बेहतर,
चाहता था करना कुछ कारनामा,
सोचा की सेना में जा कर
देश के कुछ काम है आना..
पर तब कहाँ था पता कि ये बंदा अपनी ही आँखों से धोखा खाएगा…
मेडिकल वाले साहब बोले, बेटा… “तुम से न हो पाएगा”.
पिताजी बोले कुछ तो करना ही पड़ेगा,
निकम्मा नहीं तो मेरे बेटे को सारा जग कहेगा…
पंडित जी ने भी कह दिया… इंजीनियरिंग में बड़ा स्कोप है, तब हमें कहां पता था कि आगे कुंडली में राहु का भी प्रकोप है..
पड़ोसी बोले अब तो तेरा बाजा बज जाएगा
शर्मा जी के बेटे, “तुम से ना हो पायेगा..”
आगे जा के मन में ख्याल आया कि मर्चेंट नेवी में ही मेरा भविष्य है..
बनना मुझे अब कप्तान का सबसे प्रिय शिष्य है..
विदेश जाने का बना बैठा था पूरा मन, लेकिन जहां जहाज उतरा..पानी भी वहीं था कुछ कम..
डीजी शिपिंग (DG Shipping) वाले बोले ये अंधा हमारी नैया डुबोएगा..
जहाज़ी तुम बन सको बेटा… “ऐसा तुम से ना हो पाएगा…”
आखिर में अब एक मिला है मौका…सोचा अबकी तो लगा ही दूंगा चौका…
SJVN मानव संसाधन विभाग में अच्छे से कार्य करूंगा, Loan हो या Tax…सब कुछ अच्छे से भरूंगा…
लेकिन लगता है कि शेरो-शायरी में बस इतना ही करियर बन पाएगा..
नहीं तो साहित्योपीडिया वाले भी कहेंगे.. शर्मा जी के बेटे…
“तुमसे ना हो पाएगा…”