तुम से कुछ कहना है
**सुनो **
आज तुम से
कुछ कहना है
क़ौन हो तुम
मेरे लिये
ये सब पूछ रहे है
जरा उन को
भी हाल ए दिल
बता दो मेरा
धड़क रही हूँ
सीने में तेरे
जरा सुना दो
साँसों में समा
सी गयी हूँ
तुम में कही
खो गयी संध्या
कही मिल
तेरे प्यार में
ढूंढते से लोग
मुझे मिलती
नही वो पहले
सी तृप्ती कही
समा गयी
आगोश में
जिस्म में
जान कोई
कितना मधुर
कितना पावन
अतुल्य सा
प्रेम तेरा
विस्मृत सी यादो
में लयबद्ध सी
बह जाती हूँ
जब भी तुझे
सोचती हूँ
मैं सिर्फ
तेरी ही
हो जाती हूँ।।
✍संध्या(तृप्ती)