*तुम से करनी दो बात बाकी है*
तुम से करनी दो बात बाकी है
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तुम से करनी दो बात बाकी है,
दिन तो बीता बस रात बाकी है।
चलते चलते कटते गये रास्ते,
डर को देनी अब मात बाकी है।
गैरों ने अपना जान कर थामा,
अपनों की खानी घात बाकी है।
दीपक आशा का बुझ गया सारा,
जीवन मे आनी पात बाकी है।
दो ना हमको वास्ते सितमगर यूँ,
हड्डियों का पुतला गात बाकी है।
पलकें भर आई देख कर हालत,
आँसू की होनी बरसात बाकी है।
मनसीरत तो अब मांगता रहमत,
कुदरत की मिलनी दात बाकी है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)