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13 Jun 2023 · 1 min read

तुम से उम्मीद–ए–हिमायत बहुत है

तुम से उम्मीद–ए–हिमायत बहुत है
लिहाजा मुझे तुम से शिकायत बहुत है

कोई तूफ़ाँ न गिरा सका मिरा आशियाँ
ख़ुदा की मुझ पर इनायत बहुत है

जिन के क़ुर्ब में मुझे मिलती है राहत
मिरी मौजूदगी से उन्हें अज़ीयत बहुत है

जब से मैंने पाई है तिरी ख़ाक-ए-पा
तब से मिरे घर में बरकत बहुत है

उन्हें तीर सा चुभता है मिरा हर अश’आर
चूँकि मिरे लफ़्ज़ों में सदाक़त बहुत है

त्रिशिका श्रीवास्तव धरा
कानपुर (उत्तर प्रदेश)

1 Like · 163 Views
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