तुम साथ जो न हो
चिड़ियों जैसी चहकते, कभी उसे हँसते देखा
आज थी उदास न जाने क्यों?
पूछा इतनी गुमशुम हो भला किसलिए?
ओ बोली “किशन” तुम साथ जो न हो?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
चिड़ियों जैसी चहकते, कभी उसे हँसते देखा
आज थी उदास न जाने क्यों?
पूछा इतनी गुमशुम हो भला किसलिए?
ओ बोली “किशन” तुम साथ जो न हो?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)