तुम सही थीं या मैं गलत,
तुम सही थीं या मैं गलत,
मगर उस दुनियां में हम मिलेंगे ज़रूर,
जहाँ ना कोई दूरी हो, ना कोई रुकावट,
जहाँ केवल हम होंगें, और हमारी धड़कनें मिलेंगी मिलेंगीं,
वहाँ, एक अदृश्य धागा होगा,
जो हमारे दिलों को एक दूसरे से जोड़ेगा,
जहाँ ना समय होगा, ना कोई अंतराल,
और ना ही होगा ज़माना ना होंगें 4 लोग,
जहाँ सिर्फ हमारी बातें और होगी ख़ामोश रात,
जिसमें हम एक दूसरे का हाथ थामकर,
देखेंगे फ़िर से नए सपने,
वहाँ हर रास्ता हमारे कदमों से रोशन होगा,
हर मोड़ पर तुम्हारी हाँसी का राग गूंजेगा,
जहाँ मैं कह सकूँ,
“हाँ, नैना मेरी है, और मैं उसका”
वहाँ कोई सवाल नहीं होगा,
ना कोई ‘क्यों’ होगा,
बस हम होंगे, हम दोनों,
बेफिक्र, निर्द्वंद्व, और सच्चे,
जहाँ नज़रें एक दूसरे में खो जाएँगी,
और शब्दों की ज़रूरत नहीं रहेगी…!