Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 2 min read

तुम सर्वदृष्टा सर्वस्व मैं इंसान तुच्छ

अपनी जरूरत के मुताबिक
सबने ढाला अपना खुदा
अपने अपने सांचे में
दूर दुनिया के कोनों में नहीं
आस पास घर घर में अलग
आदमी आदमी के लिए जुदा
कितनी कमजोर कामचलाऊ
तस्वीर बनाई है
आदमी ने अपने खुदा की
जरुरत के मुताबिक

ईश्वर के प्रति भी
बदलते उसूल बदलते रिश्ते
बदलते धर्म और इन्सानी सोच
बदलते संबोधन, बदलता भगवान
आदमी की मर्जी के मुताबिक
चढ़ता उतरता हंसता रूठता भगवान
जहाँ जब जैसी जरूरत पड़े
वैसी शक्ल में खड़ा भगवान
जहाँ जैसे संभव लगे
वैसे पूजा जाता भगवान

भगवान के नाम पर सभायें
भगवान के नाम पर घोषणायें
भगवान के नाम पर प्रबन्धन
उसी के नाम पर
उपदेश नीति भाषण संभाषण
उसी के नाम पर लूटपाट
उसी के नाम पर अत्याचार
बलि अन्याय अपराध अधर्म
उसी के नाम पर ढकोसलों की
रंगीन चादर अभेद्ध मुखौटा
जबरदस्त बनावट-नाटक

कुछ लोगों को
अंधा नजर आता खुदा
कुछ लोगों को
बहरा लंगड़ा लूला अधूरा
संकीर्ण क्षणिक दिखता भगवान
आदमी को अपनी तरह
अपनी संकीर्णताओं की तरह
अपनी कमजोरियों की तरह
और तद्नुसार पूजा अर्चन इबादतें

खुदा !
काश कभी तुम भी अपने
धैर्य का बाँध तोड़ते
कभी तुम भी आदमी की तरह
संकीर्ण सोच में उतर आते
शायद होश में आ जाता आदमी
आदमी,जो खुद को तुम्हारी
सर्वोतम कृति बताता आया है
उसी के बदकर्मों पर
न जाने तुम कैसे
परदा डालते हो
कैसे माफ कर लेते हो
आदमी की बेईमानी
आदमी की हैवानियत
आदमी की शैतानियत
और आदमी का घिनौनापन

प्रभु !
तुम सर्वदृष्टा सर्वस्व भगवान
मैं निरा तुच्छ इन्सान
मुझे नहीं मालूम
क्या प्रश्न कर रहा हूँ
कहाँ हाथ-पाँव चला रहा हूं
इस विकट अंधकार में,
यह भी नहीं मालूम
कि तुम्हारे और मेरे बीच
कितना पारदर्शी रिश्ता है
कितना ढाल चुका हूँ मैं तुम्हें,
संकीर्ण सोच के सांचे में
अपनी सुविधानुसार।
-✍श्रीधर.

74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all
You may also like:
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
■ हर जगह मारा-मारी है जी अब। और कोई काम बचा नहीं बिना लागत क
■ हर जगह मारा-मारी है जी अब। और कोई काम बचा नहीं बिना लागत क
*प्रणय प्रभात*
जिसने अपनी माँ को पूजा
जिसने अपनी माँ को पूजा
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
कुंडलिया - वर्षा
कुंडलिया - वर्षा
sushil sarna
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"बड़ पीरा हे"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाबों के रेल में
ख्वाबों के रेल में
Ritu Verma
चुनना किसी एक को
चुनना किसी एक को
Mangilal 713
हार पर प्रहार कर
हार पर प्रहार कर
Saransh Singh 'Priyam'
*** सागर की लहरें....! ***
*** सागर की लहरें....! ***
VEDANTA PATEL
यदि हर कोई आपसे खुश है,
यदि हर कोई आपसे खुश है,
नेताम आर सी
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
surenderpal vaidya
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
घर एक मंदिर🌷
घर एक मंदिर🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फिर  किसे  के  हिज्र  में खुदकुशी कर ले ।
फिर किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
himanshu mittra
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
Rj Anand Prajapati
शर्म करो
शर्म करो
Sanjay ' शून्य'
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023  मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
Shashi kala vyas
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
Anil chobisa
वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो
वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो
Mahendra Narayan
23/99.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/99.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खरी - खरी
खरी - खरी
Mamta Singh Devaa
आज का चयनित छंद
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
rekha mohan
शेर
शेर
Monika Verma
सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
Mukesh Kumar Sonkar
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
पितर
पितर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...