तुम सब कुछ कह देना…
मिलने से जो खुशी मिली है
बिछड़ने का गम कांटों चुभता है
खुशी बांट ली तुझ संग यारा
गम कैसे मैं बांटूगा
जिसका दामन भरा फूलों से
कांटे कैसे बिछाऊंगा
फिर भी चलना हो कांटों पर
तो पथ पर हाथ बिछाऊंगा
फिर छाले पड़ जाएं जितने
तेरी मुस्कान को दबा बनाऊंगा
सह जाऊंगा दर्द की पीड़ा
पर दर्द ना तुझसे बाटूगां
कर लूंगा मैं ग़मों से यारी
पर तुझसे ना बोलूंगा
तेरी एक खुशी की खातिर
सारे दर्द दबा लूंगा
मिट्टी में भी मे मिलकर
तुझे चमन में कर दूंगा
तू मुझे चाहे जैसा समझे
बस एक बात समझ लेना
बनाया गैरत मदं जिसे
बेगैरत ना कर देना
कहना भी हो, गर तुमको कुछ
तुम खुद ही, सब कुछ पी लेना
और ना सह पाओ, गमो की पीड़ा
धीरे से,बस कान मे मेरे,तुम सब कुछ कह देना
तुम सब कुछ कह देना…..$ R..
रंजीत घोसी