Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2021 · 1 min read

“तुम सबला हो”

“तुम सबला हो”

नारी ! तुम अबला नही, तुम सबला हो
तुम देह से सुकोमल सही,
पर मन से सुदृढ हो
तुम सबके तानों को भी
हँस कर सह जाती हो
तुम अपमान के कडवे घूंट भी,
शर्बत सा पी जाती हो
इसीलिए नहीं, की तुम अबला हो
क्यूंकि तुम त्याग,प्रेम,ममता की मूरत हो
नारी ! तुम अबला नही, तुम सबला हो
आँखों में आँसू लिए
अथाह दर्द धारण किये
तुमने हँसते-हँसते अपने सब काम किए
इसीलिए नही, कि तुम अबला हो
क्यूंकि तुम अपना फर्ज निभाना जानती हो
नारी ! तुम अबला नही तुम सबला हो
तुम्हारा सौंदर्य अनमोल है,
तब भी तुम,सदियों से बिकती आई हो
चरित्र लाख, पावन सही
पर अग्नि परिक्षा देती आई हो
इसीलिए नही की तुम अबला हो
क्यूंकि, तुम अपनी मर्यादा निभाना जानती हो
नारी ! तुम अबला नहीं, तुम सबला हो।
तुम अपने जीवन का दाव लगा देती हो
सबको खुश रखने और बनाने में
कोई जान ना पाएगा,
क्या है तुम्हारे मन के खज़ाने में
यूँही सफर बीत जाएगा,
साँझ ढले मन का पंछी फड़फड़ाएगा
क्यूंकि तुम्हीं को पता है, कि तुम सबला हो
हे नारी ! जागो, जिंदगी तुम्हारी भी है
स्वाभिमान से सर उठाकर कह सको,
मर्जी तुम्हारी भी है
अपने अस्तित्व को जानो पहचानो,
आत्मनिर्भर बनो
बता दो सकल संसार को, कि तुम कमजोर नही
तुम सबला हो, कोई अबला नही
हे नारी! तुम सबला हो, तुम सबला हो।

✍वैशाली
4.3.2021
जकार्ता

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 390 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
Shashi kala vyas
सादगी
सादगी
राजेंद्र तिवारी
चारु कात देख दुनियाँ के सोचि रहल छी ठाड़ भेल ,की छल की भऽ गेल
चारु कात देख दुनियाँ के सोचि रहल छी ठाड़ भेल ,की छल की भऽ गेल
DrLakshman Jha Parimal
साहित्य क्षेत्रे तेल मालिश का चलन / MUSAFIR BAITHA
साहित्य क्षेत्रे तेल मालिश का चलन / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
"साजन लगा ना गुलाल"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
बुद्ध के बदले युद्ध
बुद्ध के बदले युद्ध
Shekhar Chandra Mitra
करगिल के वीर
करगिल के वीर
Shaily
शिक्षा
शिक्षा
Neeraj Agarwal
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
goutam shaw
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
Radhakishan R. Mundhra
घर-घर तिरंगा
घर-घर तिरंगा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
Ranjeet kumar patre
गांव का दृश्य
गांव का दृश्य
Mukesh Kumar Sonkar
जिन्दगी की पाठशाला
जिन्दगी की पाठशाला
Ashokatv
आप
आप
Bodhisatva kastooriya
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
3055.*पूर्णिका*
3055.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
You're going to realize one day :
You're going to realize one day :
पूर्वार्थ
आँगन पट गए (गीतिका )
आँगन पट गए (गीतिका )
Ravi Prakash
दिखता अगर फ़लक पे तो हम सोचते भी कुछ
दिखता अगर फ़लक पे तो हम सोचते भी कुछ
Shweta Soni
ज़िन्दगी में सफल नहीं बल्कि महान बनिए सफल बिजनेसमैन भी है,अभ
ज़िन्दगी में सफल नहीं बल्कि महान बनिए सफल बिजनेसमैन भी है,अभ
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-289💐
💐प्रेम कौतुक-289💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
प्यार जताना नहीं आता मुझे
प्यार जताना नहीं आता मुझे
MEENU
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
Keshav kishor Kumar
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
Pt. Brajesh Kumar Nayak
द्रोण की विवशता
द्रोण की विवशता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...