तुम वीर पुरूष की वीर नार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार
रखना साहस संयम अपार ।
फिर भेज उन्हें देना रण में,
दे तिलक भाल पगड़ी संवार
क्षत्राणी धर्म निभाना है,
बन कर भारत की कर्णधार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार
रखना साहस संयम अपार ।
कोई तुम बात बताना मत,
जिससे मन का फिर बढ़े भार
कह देना देख रहीं हूं सब
तुम रखो देख सीमा निहार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार
रखना साहस संयम अपार ।
तुम पुनर्मिलन में मुस्काना
फिर उनका सम्बल बन जाना
जीवन तो है आना जाना,
वीरों की होती नहीं हार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार
रखना साहस संयम अपार ।
जीजाबाई सी त्याग मूर्ति बन
वीर शिवाजी कर तैयार,
तेरे आगे नतमस्तक हों
हिमगिरि विशाल गिरिवर हजार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार
रखना साहस संयम अपार ।
अनुराग दीक्षित