तुम वह सितारा थे!
तुम वह सितारा थे!
तुम वो सितारा थे
जो उम्र भर जगमगाते रहे
और अब इतिहास के पन्नों पर
यूं ही जगमगाते रहोगे।
वक्त क्या है! कोई तुमसे सीखे
उसकी कदर करना ,
कोई तुमसे सीखे
वक्त को वक्त के साथ जीना ।
यूं ही नहीं किसी ने रतन
नाम रखा था तुम्हारा
तुम ही वो बेशकीमती रतन थे
जिसकी कीमत ना कोई लगा पाया।
आसमान भी कितना व्याकुल हो उठा
तुम्हें अपने सर का ताज बनाकर
खुद में जड़ने के लिए
आसमान में चमकाने के लिए ।
जमीन पर भी उम्र भर चमकते रहे
अपनी ख्वाहिशों को
अपने संघर्षों में बदलते रहे
गुमान ना तुम्हें!
कभी किसी बात का हुआ।
तुम्हारा जाने से हर शख्स इस कदर रो पड़ा
जैसे तुम्हारा उससे नाता सालों साल रहा
हर किसी के लिए तुम एक मिसाल थे!
भारत के लिए तुम बेमिसाल थे।
हर शख्स का नाता तुमसे बड़ा अजीज रहा
तुम्हें बता ना पाया हर कोई
के तुमसे रिश्ता कितना मजबूत रहा।
हरमिंदर कौर,
अमरोहा ( यूपी)
मौलिक रचना