Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2021 · 1 min read

तुम लौट आओ

आज अनायास ही
उसका ख्याल आ गया
खुशी हुई थोड़ी फिर
विरह क्षण याद आ गया

याद आते ही वो मंजर
मुझको फिर मायूस कर गया
बंद करके पलकों को
आंखों को आंसुओं से भर गया

खो गया यादों में उसकी
ढूंढ रहा हूं खुशबू मैं उसकी
लग रहा आसपास है वो, बस
दिख नहीं रही तस्वीर उसकी

माना छोड़ गई है मुझे वो
लेकिन दिल में है मेरे वो आज भी
आकर मेरी यादों में अक्सर
क्यों मुझे सताती है वो आज भी

जन्नत का अनुभव होता था
जब मैं उसके साथ होता था
मैं बस उसी को देखता था
जब वो मेरे साथ होता था

मिलने को मैं उससे और
वो भी मुझसे आतुर रहते थे
प्रेम की मिसाल है हम
ऐसा अक्सर लोग कहते थे

लग गई नज़र किसी की या
उसके दिल में कोई और आ गया
अच्छा नहीं लगता मैं उसे या
उसको कोई और भा गया

जो भी रही हो वजह, अब क्या
मेरे तो जीवन में अंधेरा छा गया
नहीं सोया हूं चैन से एक भी दिन
जिस दिन से वो मुझको छोड़ गया

मुझे देखती वो निगाहें उसकी
है मेरी यादों में बसी आज भी
भूल जाऊंगा मैं जो हुआ साथ मेरे
मिल जाए अगर वो मुझे आज भी

Language: Hindi
3 Likes · 338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
हमारा देश भारत
हमारा देश भारत
surenderpal vaidya
तू भूल जा उसको
तू भूल जा उसको
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
कितना अच्छा है मुस्कुराते हुए चले जाना
कितना अच्छा है मुस्कुराते हुए चले जाना
Rohit yadav
तब जानोगे
तब जानोगे
विजय कुमार नामदेव
लफ़्ज़ों में हमनें
लफ़्ज़ों में हमनें
Dr fauzia Naseem shad
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
कवि दीपक बवेजा
चक्षु द्वय काजर कोठरी , मोती अधरन बीच ।
चक्षु द्वय काजर कोठरी , मोती अधरन बीच ।
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
विमला महरिया मौज
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023  मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
Shashi kala vyas
समरथ को नही दोष गोसाई
समरथ को नही दोष गोसाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पिरामिड -यथार्थ के रंग
पिरामिड -यथार्थ के रंग
sushil sarna
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप
लक्ष्मी सिंह
प्रेम
प्रेम
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
Rajesh Kumar Arjun
बस गया भूतों का डेरा
बस गया भूतों का डेरा
Buddha Prakash
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
डा गजैसिह कर्दम
दिल से ….
दिल से ….
Rekha Drolia
*वधू (बाल कविता)*
*वधू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
Khaimsingh Saini
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
पूर्वार्थ
कल की चिंता छोड़कर....
कल की चिंता छोड़कर....
जगदीश लववंशी
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
एक किताब खोलो
एक किताब खोलो
Dheerja Sharma
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
Ravi Yadav
डर एवं डगर
डर एवं डगर
Astuti Kumari
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...