तुम लौट आओ ना
उन खामोश वादियों से
दिल को सताओं ना
पुकारती है हर साँस तुम्हे
तुम लौट आओ ना
जब भी देखती हूं आईना
अपनी आंखों में पाती हूं तुमको
यू ख्वाब बनकर मुझे रुलाओ ना
पुकारती है हर साँस तुम्हे
तुम लौट आओ ना
तुम अंधेरों में खोकर भी
दर्द का एहसास देते हो
हर वक्त मेरी आंखों में
नमी बनके रहते हो
जानती हूं लौटना नामुनकिन है
दिल को कैसे समझाऊं मैं
उन खामोशवादियों से
दिल को सताओ ना
पुकारती है हर साँस तुम्हे
तुम लौट आओ ना ।
~अंजू (ओझल)