# तुम.. मैं.. और वो #
लो देखो
बाँट लिया है हमने
अपने दिल को
दो हिस्सो में।
अस्थिर मन:स्थिति
के द्वन्द में
तुम …मैं…और वह
न जाने
कहाँ तक का
सफर तय कर पाते !.?
चलो तुम अपनी
मर्यादा पर
अंकुश लगाओ और
उन्हे भी अनुशासनशील
बने रहने दो।
मेरा क्या है ….!!!?
इन्हीं खामोशियों में
दहकते तृष्णाओं
के संग
स्वच्छन्द विचरण
करता रहूँगा
तुम्हें इस हिस्से में,
उन्हें उस हिस्से में लिए
कि
लो देखो
बाँट लिया है हमने
अपने दिल को
दो हिस्सो में।