तुम मेरे बादल हो,मै तुम्हारी काली घटा हूं
न सावन सूखी हूं मै,न भादो हरी हूं,
बस मै तो आपके दिल की ही परी हूं।
रखो जिस हाल में तुम अब मुझको,
मै तो तुम्हारी जीवन की सहचरी हूं।।
करतीं हूं प्यार तुमसे अपने दिल से ज्यादा,
बेवफा न कभी होना,करो तुम ये वादा।
चलते रहना इस राह पर भले रोड़े आए,
तोड़ना न कभी ये जीवन की मर्यादा।।
तुम मेरे चन्दा हो,मै तुम्हारी किरण हूं,
अहो भाग्य है मेरे,मै तुम्हारी शरण हूं।
आयेगी मुसीबत कभी जीवन में तुम्हारे,
हर मुसीबत में,मै तुम्हारे ही संग हूं।।
तुम मेरे बादल हो,मै तुम्हारी काली घटा हूं,
चमकेगी बिजली ,लगेगी मै तुम्हारी छटा हूं।
बरसोगे जब तुम कभी,नीचे जमी पर,
लोग समझेगा मै तुम्हारी ही काली घटा हूं।।
तुम मेरे अलि हो,मै तुम्हारी कलि हूं,
चूस लेना मुझको,मै तुम्हारी कलि हूं।।
बन्द करके रखुगी,रात भर मै तुमको,
उड़ने न दूंगी तुमको,इतनी न मैं भली हूं।।
पक्का है प्यार हम दोनों का ज्यादा इतना,
टूटेगा न कभी ये,चाहे जोर लगाले जितना।
सात जन्म तक बंधा रहेगा ये बन्धन हमारा,
लिखा है ऐसी स्याही से,कभी ये न मिटना।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम