—- तुम मेरे प्यार की ग़ज़ल हो —
यह बात है उन दिनों की , जब उम्र मात्र २९ साल हुई होगी ! पिता जी को भी चिंता हुई की बेटे की शादी कर देनी चाहिए ! घर में बड़ा होने के नाते साधारण रीती रिवाज से शादी संपन्न हुई ! पत्नी के साथ शादी के कुछ दिन पहले ही मुलाकात हुई थी , जिस में उन्होंने एक प्यारी सी ग़ज़ल लिख कर दी थी, और अपना प्रेम भी दर्शा दिया था, कि मेरे को आप से यह उम्मीद भविष्य में होंगी, हम ने भी उनकी ग़ज़ल का उसी अंदाज में उत्तर लिख कर दे दिया था ,.कि आपको जो चाहिए वो इसी ग़ज़ल के माध्यम से लिख दिया है और आपको जीवन भर मिलता रहेगा !!
परिवार धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा और आज २९ वर्ष शादी को बीतने वाले हैं, जिस में एक बेटे की शादी भी हो चुकी है परन्तु पत्नी की लिखी हुई ग़ज़ल हर पल दिमाग में कौंधती रहती है और जैसा साथ उन्हें चाहिए था वो आज तक जिन्दा है, शिकवा शिकायत तो जीवन भर कभी खत्म नहीं होते , पर जिस वादे के रूप में वो ग़ज़ल उन्होंने लिखी थिस उस को निभाना अपना फर्ज समझता हूँ, ताकि कभी भी उन्हें यह न लगे, कि जो इन्होने कहा था, आज उस से यह बहुत दूर चले गए हैं, इस लिए वो याद पल पल ताजा रखकर जिंदगी की किताब के हर पृष्ठ पर ताजगी महसूस करता हु और खुद को ईश्वर का वरदान जान कर परिवार के लिए हर वक्त समर्पण भाव रखे हुए जिंदगी व्यतीत कर रहा हूँ, यही सोचता हूँ और उनके मुझ से कभी कभार सुन भी लेता हु, कि आप मेरी वो २९ वर्ष पुरानी ग़ज़ल को कितना जिन्दा रखे हुए हो !!
इसी का नाम प्यार है, इंसान को ईश्वर ने सब कुछ दिया है, पर उस का इस्तेमाल कैसे करना है यह भी उस के आशीर्वाद से ही संभव हो सकता है, तन की भूख तो इंसान मिटा लेता है, पर जो प्रेम, आपसी भाव की भूख होती है, दिल से एक दूसरे की चाहत होती है, वो कभी ख़त्म न हो, ऐसा होना चाहिए पति पत्नी के रिश्ते में प्यार, जिस से पल पल ताजगी का एहसास होते रहना चाहिए !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ