तुम मेरे जीवन की गंगा…
तुम मेरे जीवन की गंगा , मैं तुम्हारा प्रेम सागर।
तुम मेरे गीतों की धुन हो मैं मेरे गीतों का आखर।
ये जो चन्दा है गगन पर, चाँदनी का हमसफ़र।
पूर्णिमा हो या अमावस, साथ देता हर पहर।
मैं भी चन्दा सा बनूँ,चाँदनी सी तुमको पाकर।
तुम मेरे गीतों की धुन हो, मैं मेरे गीतों का आखर।।
रूप सौष्ठव है भरा ,पावनी इस देह पर।
मैं करूँ अंकित स्वयं को बस तुम्हारे नेह पर।
तुम ऋचाओं सी हो पावन धन्य हूँ मैं तुमको गाकर।
तुम मेरे गीतों की धुन हो, मैं मेरे गीतों का आखर।।
सौष्ठव