तुम मेरी सखी हो
तुम मेरी सखी हो
सखी हो या सनेही
तुम जो भी हो
मेरी छाया हो
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो
मेरे सोते जागते
उठते बैठते
साथ मेरे रहती हो
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो
मेरे अनतरंग के साथी
सुख दुख के सारथी
तुम मेरी प्रतिमूर्ति
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो
दुख दरद का व्यापार
सब तेरे ही हाथ
शान्त सुकोमल कल्पना
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो
मेरे अध अंग की सारथी
दुखद भावों की हारणी
हृदय मंदिर की बासिनी
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो
मेरी प्रिया से गुरुतर तुम
बिन माँगे दे देती
मित्रता की तुम आन
क्योंकि
तुम मेरी सखी हो