Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2024 · 1 min read

तुम मेरा इतिहास पढ़ो

तुम मेरा इतिहास पढ़ो
————————————-
तुम मेरा इतिहास नहीं जानते।
मेरे वर्तमान से नफरत करते हो।
जब मैं राजा था, मैं सबका राजा था।
मेरा शासन बराबरी का शासन था।
उत्कृष्ट कथनों का अक्षरशः पालन था।
तुम्हें समान शरण व संरक्षण दिया।
तुम्हें समान अवसर व प्रशिक्षण दिया।
तुम आये थे मैं यहीं उपजा, पला था।
यहीं की कोख से हितवादी उपदेशों को
अंकुरते पल्लवित,पुष्पित,फलित होते देखा था।
सत्य को,अहिंसा को,समता को परम होते देखा था।
राजा और राजाज्ञाओं को करम होते देखा था।
हमने तुम्हें भाषा दिया अपनी संस्कृति दी।
खानाबदोशी से निकाला अच्छी प्रवृत्ति दी।

मैं उलाहना नहीं दूँगा।
किन्तु, सराहना नहीं करूँगा।
पर,कुछ तो कहूँगा।
तन और मन पर तेरे विश्वासघात का
बड़ा बोझ है
पटक कर अब पुनः राजा बनूँगा।

असत्य और हिंसा प्रकृति है तुम्हारी।
तुम्हारा जीवन दुष्कृति है तुम्हारी।
श्राप और वरदान का खेल खूब खेला।
अब और नहीं
बहुत लगाये हमारे मठ-मन्दिरों में मेला।
कहना बाकी रहेगा।
भविष्य साक्षी रहेगा।
—————————————–21-10-24

Language: Hindi
20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
sushil sarna
🙅छुटभैयों की चांदी🙅
🙅छुटभैयों की चांदी🙅
*प्रणय*
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
जगदीश शर्मा सहज
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
राही
राही
Neeraj Agarwal
you don’t need a certain number of friends, you just need a
you don’t need a certain number of friends, you just need a
पूर्वार्थ
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
Suryakant Dwivedi
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
"जख्म की गहराई"
Yogendra Chaturwedi
4392.*पूर्णिका*
4392.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
रामायण सार 👏
रामायण सार 👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवन चक्र
जीवन चक्र
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सबने हाथ भी छोड़ दिया
सबने हाथ भी छोड़ दिया
Shweta Soni
"असलियत"
Dr. Kishan tandon kranti
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
Sonam Puneet Dubey
सवालात कितने हैं
सवालात कितने हैं
Dr fauzia Naseem shad
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
चित्रगुप्त का जगत भ्रमण....!
चित्रगुप्त का जगत भ्रमण....!
VEDANTA PATEL
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
निभाना नही आया
निभाना नही आया
Anil chobisa
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सावन
सावन
Dr Archana Gupta
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
Ranjeet kumar patre
Loading...