तुम मुझको कब तक रोकोगे… ।
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
कल श्री विकास बंसल द्वारा रचित एवं महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज़ में एक कविता पढ़ी एवं सुनी ,ऐसा लगा मेरी अंतरात्मा मुझसे ये सब कह रही है ,सोचा आप सब से भी अपनी जिंदगी के एकदम करीब लगती कविता साझा करूँ:-
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की :-
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर-भर कर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही-कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें-दीपक-सा जलता देखोगे ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें-दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से-तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे… ।
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की :-
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है …
बंजर माटी में पल कर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..
शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की:-
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं-उतने सहने की ताकत है…
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं- उतने सहने की ताकत है ….
तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है । ।
मैं सागर से भी गहरा हूँ.. मैं सागर से भी गहरा हूँ…
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।
चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।
आखिर में एक ही बात समझ आई की :-
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ-अब फिर झुकने का शौक नहीं..
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ-अब फिर झुकने का शौक नहीं..
अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान