Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2024 · 1 min read

तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,

तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
जब रास्ते तय हो चुके थे, अपने-अपने।

सिर्फ़ हक़ीक़त पे ज़िंदगी चलती कहाँ है,
दिलो-दिमाग को चाहिए, बेक़रार सपने।

जब रास्ते बंद अबूझ हों, दिल उदास हो,
तुम्हारे बारे बुनने ‌लगता हूँ हसीन सपने।

उम्र से लंबी कई क़तारें ख़्वाहिशों की,
और पहली क़तार में, सिर्फ़ तुम्हारे सपने।

नज़दीकियों के मायने, दूर हुए रिश्तों से,
मैं हूँ, मेरी तन्हाईयां हैं और हजार सपने।

93 Views
Books from Shreedhar
View all

You may also like these posts

अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्यार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
Surinder blackpen
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
Manisha Manjari
मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
संजय कुमार संजू
🌱कर्तव्य बोध🌱
🌱कर्तव्य बोध🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
टीचर्स डे
टीचर्स डे
अरशद रसूल बदायूंनी
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर
ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम
Sagar Yadav Zakhmi
मौसम
मौसम
आशा शैली
"अंगूर"
Dr. Kishan tandon kranti
विचारों में मतभेद
विचारों में मतभेद
Dr fauzia Naseem shad
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
पूर्वार्थ
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
मार न सकता कोई
मार न सकता कोई
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक-दूसरे के लिए
एक-दूसरे के लिए
Abhishek Rajhans
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
sushil sarna
" कृषक की व्यथा "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
" शिक्षक "
Pushpraj Anant
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
Sanjay ' शून्य'
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
*प्रणय*
ये दिल भी न
ये दिल भी न
sheema anmol
Loading...