तुम भूल गईं जबसे
कांटो से है अब यारी, गुलजार चुभे मुझको,
तुम भूल गईं जबसे, महताब तपे मुझको,
बिखरे हुये कुछ मोती, मैने फिर संजोये है,
सांसों की माला में, कुछ गीत पिरोये हैं,
कुछ गीत लिखे मैनें, कुछ गजलें बनाई हैं,
पर तुम बिन हर लय ताल, अश्कों की सफाई है,
अब हाल है ये जाना, हर पल तू दिखे मुझको
तुम भूल गईं………..
मैं पल-पल मरता हूं, नाराज नहीं तुमसे,
और किसी वेदना का, आगाज नहीं तुमसे,
है खेल ये नियति का, नहीं दोष तुम्हें दूंगा,
तुम मिलो किसी भी मोड़, प्रेम कोश तुम्हें दूंगा,
तू जगती में सबसे, सदा प्यारा लगे मुझको,
तुम भूल गईं…………